बुधवार, 18 दिसंबर 2013

जिंदा रहना है तो

जंग हालात से हर हाल में करना होगा,
जिंदा रहना है तो लड़ते हुए मरना होगा।
हमने माना के हैं हालात मुखालिफ लेकिन,
आग भी हो तो हमें आग पे चलना होगा।
बेजबानों पे सदा जुल्मो-सितम होता है,
हम खड़े होंगे तो फिर जुल्म को डरना होगा।
आरजू है जो फलक पूछे हमारी ख्वाहिश,
इम्तहानों से हमें रोज गुजरना होगा।
हर जगह सर को झुकाना नहीं अच्छी फितरत,
है ये दस्तूर तो दस्तूर बदलना होगा।
रह के खामोश जमाने में नहीं हक मिलता,
प्यार से बनती नहीं बात तो लड़ना हो्गा।
अज्म जनता जो करे और उठा ले परचम,
बिगड़े हालात को पल भर में सुधरना होगा।

रविवार, 8 दिसंबर 2013

प्यार की बातें


बिन तुम्हारे बहार की बातें‚
क्यों करें हम बेकार की बातें।
प्यार में तेरा और मेरा क्या‚
रहने दीजे शुमार की बातें।
फूल से हो गया है दिल जख्मी‚
हम को भाती हैं खार की बातें।
लोग कहते हैं इश्क में हूं मैं‚
अच्छी लगती हैं प्यार की बातें।
अब कहीं दिल मेरा नहीं लगता‚
याद आती हैं यार की बातें।

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

खो रहा है वो


जाने क्यों आज सो रहा है वो‚
वक्त बेवजह खो रहा है वो।
मौत का वक्त तय तो है लेकिन‚
सुबह से बैठा रो रहा है वो।
आरजू तो है सिर्फ फूलों की‚
पेड़ कांटों के बो रहा है वो।
जो गया लौट कर न आएगा‚
वक्त हासिल क्यों खो रहा है वो।
साथ कैसे चलेगा दुनिया के‚
कल को कांधे पे ढो रहा है वो।
स्याह किरदार हो गया है मगर‚
दाग दामन के धो रहा है वो।

रविवार, 1 दिसंबर 2013

हमें तो याद है।



घेर कर बैठी हैं यादें,यादों की बारात है,
हर तरफ है बर्फ गिरती,हर तरफ बरसात है।
तू नहीं था पर तेरी तस्‍वीर हाथों में रही,
गुफ्तगू में रात गुजरी फिर भी बाकी बात है।
सब दुआएं पढ़ गए ,पर नींद हमसे दूर थी,
हमने देखा हिज्र की लम्‍बी बहुत ही रात है।
साथ हमदोनों चले थे,यह कहानी तो नहीं,
तुम जो चाहो भूल जाओ पर हमें तो याद है।
दिल किसी भी हाल में तन्‍हा नहीं होता मेरा,
तुम नहीं हो पर तुम्‍हारी याद मेरे साथ है।
हमने सोचा हिज्र में दिल कहीं गुम जाएगा,
दिल तुम्‍हारी याद से आज भी आबाद है।
साथ होना चाहिए कुछ तो सामाने-सफर,
बात ये अच्‍छी नहीं के 'राज'खाली हाथ है।

गुरुवार, 7 नवंबर 2013

खोया था




मैं कई रात नहीं सोया था‚
उससे बिछड़ा तो बहुत रोया था।
सोचता हूं तो हंसी आती है‚
मैंने दरिया पे फसल बोया था।
चैन की नींद उसे आती है‚
नींद जिसके लिए खोया था।
पल में वो तोड़ गया दिल मेरा‚
बरसों पलकों पे जिसे ढोया था।
नाम तेरा न मिटा दिल से‚
मैंने अश्कों से उसे धोया था।

रविवार, 11 अगस्त 2013

तो अच्‍छा था




कहीं से नींद आ जाती,
मैं सो लेता तो अच्‍छा था,
बिछड़कर तुमसे मैं यारा,
जो रो लेता तो अच्‍छा था.
वफा में जख्‍म जो आए,
उन्‍हें कब तक संभालूं मैं,
लगे हैं दाग़ जो दिल पर,
वो धो लेता तो अच्‍छा था.
मुझे सोने नहीं देते,
तुम्‍हारे साथ गुजरे पल,
तुम्‍हारी याद का तकिया,
मैं खो देता तो अच्‍छा था.
मैं अक्‍सर रात–दिन तेरी,
वफा के गीत गाता हूं,
फसल अब दूसरी कोई,
जो बो लेता तो अच्‍छा था.
मैं उसके बिन भी जी लूंगा,
वो मेरे बिन भी जी लेगा,
सफर में साथ गर मेरे ,
वो हो लेता तो अच्‍छा था.

गुरुवार, 8 अगस्त 2013

ईद है


साथ हों अपने तो समझो ईद है,
सच हों गर सपने तो समझो ईद है।
जुस्तजू में चांद के गर आसमां को,
सब लगें तकने तो समझो ईद है।
चल के दुकानों से सिंवई दोस्तों,
लग गई पकने तो समझो ईद है।
कोई छोटा हो या फिर कोई बड़ा,
सब लगें सजने तो समझो ईद है।
चेहरा मुरझाया सा रोजेदार का,
जब लगे खिलने तो समझो ईद है।
हो मुबारक ईद ,मुबारक ईद हो,
सब लगें कहने तो समझो ईद है।
सर्दमेहरी छोड़कर पहलू में वो,
गर लगें तपने तो समझो ईद है।

by-jalauddin khan

ساتھ ہوں اپنے تو سمجھو عید ہے
سچ ہوں گر سپنے تو سمجھو عید ہے
جستجو میں چاند کے گر آسماں کو
سب لگیں تكنے تو سمجھو عید ہے
چل کے دوکانوں سے سوي دوستوں
لگ گئی پکنے تو سمجھو عید ہے
کوئی چھوٹا ہو یا پھر کوئی بڑا
سب لگیں سجنے تو سمجھو عید ہے
چہرہ مرجھايا سا روجےدار کا
جب لگے کھلنے تو سمجھو عید ہے
ہو مبارک عید، مبارک عید ہو
سب لگیں کہنے تو سمجھو عید ہے
سردمےهري چھوڑ کر پہلو میں وہ
گر لگیں تپنے تو سمجھو عید ہے

सोमवार, 10 जून 2013

यकीं करो



यकीं करो के तुम्हारे प्यार में हूं मैं,
नहीं हो तुम मगर इंतजार में हूं मैं।
मैं तक रहा हूं तेरी राह आज भी तन्हा,
यूं कहने को तो बैठा हजार में हूं मैं।
मैं तुझको खो के अजीयत में जी रहा हूं दोस्त,
तेरे बगैर तो जैसे के नार में हूं मैं।
मेरे बगैर तेरी सुबह,तेरी शाम न थी,
तू सच बता क्या अब भी तेरी पुकार में हूं मैं।
तुम्हारी मद भरी आंखों से मैंने जो पी थी,
अभी तलक उसी नशा,उसी खुमार में हूं मैं।

शुक्रवार, 3 मई 2013

हमदम



तुम्हारे दोस्त बहुत हैं मेरे सिवा हमदम,
निभाया सिर्फ मगर हमने है वफा हमदम. 
झुका के सर तेरा हर सितम सहा हमने,
कभी न पूछा , क्या हमसे हुई खता हमदम.
तुम्हारे बाद भी तुमको ही ढूंढते हैं हम,
कोई भी चेहरा न भाया तेरे सिवा हमदम.
तुम्हें ही सोचूं,तुम्हारा ही तजकिरा मैं करूं,
सुबह से शाम तलक है ये मशगला हमदम.
यह और बात है तुमने मेरी सदा न सुनी,
तुम्हें ही हमने हमेशा दिया सदा हमदम.
तुम्हें भुलाने की कोशिश भी कैसे मैं करता,
तुम्हारा नाम है दिल पर मेरे लिखा हमदम.
जहां भी तू हो वहां खुशियों का बसेरा हो,
मैं मांगता हूं यही रात–दिन दुआ हमदम