बुधवार, 15 अक्तूबर 2014

तुम्‍हारी आंखें



दिल के खाने में उतर जाती हैं प्‍यारी आंखें,
छीन लेती हैं हमें हमसे तुम्‍हारी आंखें।
एक नशा हम पे भी छा जाता है तुमसे मिलकर,
खूब भाती हैं हमें तेरी खुमारी आंखें।
हार बैठा हूं तेरे प्‍यार में दिल की बाजी,
जीतने देती नहीं मुझको जुआरी आंखें।
क्‍या असर प्‍यार में होता है,पता आज चला,
प्‍यार के रंग में दिखती हैं पुजारी आंखें।
फासले से तो बहुत शोख नजर आती हैं,
रू-बरू बनके जो रहती हैं बेचारी आंखें।
क्‍या पता तुमको के फुरकत में गुजरती क्‍या है,
ढूंढती रहती हैं तुमको ये हमारी आंखें।


सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

नाम उसका है


मैंने माँगा जिसे दुआओं में,
नाम उसका है बेवफाओं में.
या खुदा कैसा दौर आया है,
दर्द ही दर्द है सदाओं में.
वक़्त ने उनके पर क़तर ही दिए,
उड़ते रहते थे जो हवाओं में.
उम्र भर कुछ न कर सके हासिल,
हम जो उलझे रहे अदाओं में.
उस-सा कोई,कहीं मिला न मुझे,
लाख ढूंढा उसे खुदाओं में.
"राज" क्यों दुश्मनो से डरते हो,
ज़हर तो है यहाँ हवाओं में.