सोमवार, 8 जुलाई 2019

तुम्हारी यादें

छोड़ तन्हा नहीं जाती हैं तुम्हारी यादें,
रात दिन यार सताती हैं तुम्हारी यादें। 
लटका रहता है तेरी याद का झूला हरदम,
मुझको दिन-रात झुलाती हैं तुम्हारी यादें।
नींद से अब तो मुलाक़ात नहीं होती है,
शाम से आके जगाती हैं तुम्हारी यादें।
बीते लम्हात चले आते हैं बादल बनकर,
दिल के आंगन को भिगाती हैं तुम्हारी यादें।
साज बजता है तेरी याद का हर पल यारा,
गीत माज़ी के सुनाती हैं तुम्हारी यादें।
तेरी यादों से कहीं दूर न जाना है मुझे,
सच कहूँ मुझको सुहाती हैं तुम्हारी यादें।
साथ तेरे जो कभी ख्वाब बुने थे मैंने,
उन्हीं ख्वाबों को दिखाती हैं तुम्हारी यादें।
जब तेरा ग़म मेरी आँखों में है लाता आंसू, 
घेरकर मुझको हँसाती हैं तुम्हारी यादें।
भूल जाता हूँ तेरी याद में अक्सर खुद को,
मुझको मुझसे ही चुराती हैं तुम्हारी यादें।