बन के इंसान देखिए तो सही,
कौन शैतान देखिए तो सही.
हो के मोहताज हाथ फैलाकर,
अपनी पहचान देखिए तो सही.
खत्म कीजे ये मजहबी झगडे़,
देश की शान देखिए तो सही.
चन्द रूपयों पे डोल जाता है,
अपना ईमान देखिए तो सही.
दिल यकीनन सुकून पाएगा,
करके एहसान देखिए तो सही.
हौसला है तो कुछ कठिन भी नहीं,
सब है आसान देखिए तो सही.
‘राज’सच में कलामे-रब है यह,
पढ़ के
कुरआन देखिए तो सही.