dil dhadakta hai
शनिवार, 25 फ़रवरी 2017
पेड़ नफरत के
पेड़
नफरत के लगाने आया
,
सोया शैतान जगाने आया.
देखिये भेस में माली के कोई
,
फिर से गुलशन को जलाने आया.
मैं मुसलमाँ हूँ
,
वो हिन्दू है
,
आज फिर हमको बताने आया.
घोलकर ज़हर कोई रिश्तों में
,
प्यार का दीप बुझाने आया.
जिसका कोई भी नहीं है अपना
,
वह हमें अपना बनाने आया.
सौ के मरने का नहीं दुःख उसको
,
आंसू घडियाली बहाने आया.
मुल्क से प्यार नहीं है जिसको
,
राष्ट्रभक्ति वो सिखाने आया.
हम समझते हैं मसीहा उसको
,
जो हमें
’
राज
’
रुलाने आया.
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