बुधवार, 25 जुलाई 2012

Hale-Dil

राहों में उसका नज़रें बिछाना कभी-कभी,
आता है याद गुज़रा ज़माना कभी-कभी.
इंकार कैसे कर दूं,मोहब्बत में दोस्तों,
साधा गया था दिल पे निशाना कभी-कभी.
ये ठीक है की हमने मोहब्बत निभाई है,
चाहा था उसने भी तो निभाना कभी-कभी.
बेताब होके ढूंढता रहता हूँ उसको मैं,
सुनता हूँ जब वफ़ा का तराना कभी-कभी.
यूँ तो छुपाया हमने बहुत अपना दर्दे-दिल,
कहते हैं लोग फिर भी दिवाना कभी-कभी.
हमसे न मिलने के हैं बहाने हज़ारहाँ,
दुनिया से भी तो करिये बहाना कभी-कभी.
दिल पर सितम,सितम पे सितम ढा रहा है यार,
आँचल में तेरा चेहरा छुपाना कभी-कभी.
उल्फत में कितने ज़ख्म मिले,याद क्यों करूं,
मुझको है याद उसका हँसाना कभी-कभी.
उम्मीद है के समझेगा वो मेरा हाले-दिल,
आएगा काम सर का झुकाना कभी-कभी.

शनिवार, 21 जुलाई 2012

for you

कोई वादा न वफ़ा है तुमसे,
जाने क्यों दिल ये लगा है तुमसे.
हमने देखा जो नहीं था अबतक,
ख्वाब आँखों में सजा है तुमसे.
कैसे इंकार मैं कर दूँ यारा,
दिल के धड़कन की सदा है तुमसे.
तुम नहीं थे तो मैं ढूँढ रहा था तुमको,
आज अपना भी पता है तुमसे.
एक मुद्दत से खिज़ा का था बसेरा हर सू,
फूल गुलशन में खिला है तुमसे.
लाख समझाया, न समझे अब तो ,
दिल ये दीवाना लगा है तुमसे.
तुम नहीं साथ, तसल्ली है मगर,
नाम मेरा तो जुड़ा है तुमसे.
तुम मिले तो कोई ख्वाहिश न रही,
कोई क्या जाने क्या मिला है तुमसे.

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

dil chahta hai

गुलों का रंग हो,
खुशियों का आना-जाना हो,
हर एक पल,
तेरी क़िस्मत में मुस्कराना हो.
ये धूप-छाँव हो
दुनिया के वास्ते तो सही,
तुम्हारे वास्ते मौसम सदा 
सुहाना हो.
तुम्हारे चाँद-सितारे,
फलक-ज़मीं सबकुछ,
तुम्हारे नाम पर
दुनिया का हर ख़ज़ाना हो.
तुम्हारा ज़िक्र चले तो
चले ये दुनिया भी,
तुम्हारा ज़िक्र रुके तो
रुका ज़माना हो.
हर एक रँग अलग हो,
हर एक अदा हो जुदा,
नज़र की शोखी हो
या पलक झुकाना हो.
हज़ार बार ये वक़्त
लौट कर आए,
कभी न ख़त्म
मेरे दोस्त ये फसाना हो.