शनिवार, 1 जून 2019

हौसला

हौसला जिसका कम नहीं होता,
हार का उसको ग़म नहीं होता।
जो डराता है सारी दुनिया को,
अस्ल में उसमें दम नहीं होता।
दिल की दुनिया तबाह करता है,
लफ्ज़ माना के बम नहीं होता।
कोशिशें कामयाब होती नहीं,
उसका जबतक करम नहीं होता।
खून जायज़ हो जिसमें इन्सां का,
वह यक़ीनन धरम नहीं होता।
हक़ की आवाज़ जो उठाता है,
ज़ेर उसका अलम नहीं होता।
कोई हैवान है तो बात अलग ,
आदमी बेशरम नहीं होता।
मैं हमेशा ही तन्हा होता है,
तन्हा हरगिज़ भी हम नहीं होता।
हर अमल का हिसाब देना है,
मौत पर सब ख़तम नहीं होता।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें