रविवार, 1 दिसंबर 2013

हमें तो याद है।



घेर कर बैठी हैं यादें,यादों की बारात है,
हर तरफ है बर्फ गिरती,हर तरफ बरसात है।
तू नहीं था पर तेरी तस्‍वीर हाथों में रही,
गुफ्तगू में रात गुजरी फिर भी बाकी बात है।
सब दुआएं पढ़ गए ,पर नींद हमसे दूर थी,
हमने देखा हिज्र की लम्‍बी बहुत ही रात है।
साथ हमदोनों चले थे,यह कहानी तो नहीं,
तुम जो चाहो भूल जाओ पर हमें तो याद है।
दिल किसी भी हाल में तन्‍हा नहीं होता मेरा,
तुम नहीं हो पर तुम्‍हारी याद मेरे साथ है।
हमने सोचा हिज्र में दिल कहीं गुम जाएगा,
दिल तुम्‍हारी याद से आज भी आबाद है।
साथ होना चाहिए कुछ तो सामाने-सफर,
बात ये अच्‍छी नहीं के 'राज'खाली हाथ है।

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