बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

दिल है आईना


भूलकर भी न उछालो इसको,
दिल है आईना संभालो इसको।
टूट जाए तो नहीं जुड़ता है,
हो सके गर तो बचा लो इसको।
दिल को कदमों में न रखिए हरगिज,
गर रखा है तो उठा लो इसको।
रू-बरू उनके है खो जाता दिल,
हुस्‍न वालों से छुपा लो इसको।
दिल के खाने को न रखिए खाली,
उसकी यादों से सजा लो इसको।

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

प्यार में जीना


प्यार में जीना,प्यार में मरना,
प्यार बिना क्या जीकर करना।
प्यार की खुशबू  से है यारों,
दिल की धड़कन,सांस का चलना।
प्यार से दुनिया है गर्दिश में,
शम्सो-कमर का चलना,चमकना।
प्यार से कुदरत में रंगत है ,
हवा की सर-सर, कली का खिलना।
प्यार में बहता नहीं लहू है ,
प्यार नई करता है रचना।
 प्यार किया तो प्यार जता दो,
इजहार में देर न करना।
प्यार में रहकर दूर सनम से,
तय है दिल का 'राज' तड़पना।

रविवार, 8 फ़रवरी 2015

चाँद का दीदार


चाँद का जब मुझे दीदार नज़र आता है,
रास्ता इश्क का गुलज़ार नज़र आता है.
मेरी कोशिश,मेरी ख्वाहिश,मेरा मकसद यारा,
तेरी जुल्फों में गिरफ्तार नज़र आता है.
हुस्न के नाजो-अदा की है निराली दुनिया,
उनकी ना-ना में भी इकरार नज़र आता है.
याद आता है सफ़र में जो तुम्हारा चेहरा,
राह मुश्किल में भी हमवार नज़र आता है.
मैंने माना के ज़माना यह हसीं है लेकिन,
तू नहीं है तो यह बेकार नज़र आता है.
तुझसे रिश्ता नहीं यूँ ही के भुला दूं तुझको,
दिल का तुमसे ही जुड़ा तार नज़र आता है.
हाल क्या अपना बताऊँ,तू समझ ले कासिद,
आँख खोलूँ तो वह हर बार नज़र आता है.
चश्मे-उल्फत में अजब जोर है देखा मैंने,
लाख पर्दा हो मेरा यार नज़र आता है.
मुस्करा कर न चुरा राज से नज़रें अपनी,
तेरी आँखों में ही संसार नज़र आता है.

शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

हवा सियासत की

चल रही है हवा सियासत की,
कौन बातें करे मोहब्‍बत की।
दोस्‍त सारे बदल गए आखिर,
कुछ हवा ऐसी है अदावत की।
बेअसर उन पे आरजू-मिन्‍नत,
बात हो जाए अब बगावत की।
दर्दे-इंसानियत से खाली हैं,
बात करते हैं जो इबादत की।
आम इंसां से दूर रहते हैं,
 दिल में ख्‍वाहिश है पर इमामत की।
बात इंसाफ की न कर पाए,
क्‍या जरूरत है इस सहाफत की।
काम नाअहल पा रहे हैं अब,
क्‍या घड़ी आ गई कयामत की।
है गए दौर की मगर फिर भी,
बात हो जाए कुछ नजाकत की।
सबको मालूम है सवाब मगर,
किसको फुर्सत है अब अयादत की। 
राजतसलीम अब तो कर ही लो,
कद्र होती नहीं शराफत की।