चित्र साभार-----http://i.ndtvimg.com/i/2015-04/nepal-quake-broken-road_650x400_41429949851.jpg |
दिल हुआ बेकरार क्या कीजे,
हर तरफ है दरार क्या कीजे।
छोड़कर घर-दुकान सब अपना,
हो गए हैं फरार क्या कीजे।
यूं तो हम तीसमार खान हैं पर,
यह है कुदरत की मार क्या कीजे।
कर लें तौबा गुनाह से अपने,
दिन बचे हैं दो-चार क्या कीजे।
जुल्म से हिल रही है यह धरती,
बढ़ रहा अत्याचार क्या कीजे।
उसको आना है गर तो
आएगा,
बैठकर इंतजार क्या
कीजे।
‘राज’जीना न छोड़ना
हरगिज,
हादसे हैं हजार क्या
कीजे।
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