गुरुवार, 7 नवंबर 2013

खोया था




मैं कई रात नहीं सोया था‚
उससे बिछड़ा तो बहुत रोया था।
सोचता हूं तो हंसी आती है‚
मैंने दरिया पे फसल बोया था।
चैन की नींद उसे आती है‚
नींद जिसके लिए खोया था।
पल में वो तोड़ गया दिल मेरा‚
बरसों पलकों पे जिसे ढोया था।
नाम तेरा न मिटा दिल से‚
मैंने अश्कों से उसे धोया था।