सोमवार, 24 जून 2019

हमारे मुल्क के बच्चों की किस्मत

बहाने के लिए कुछ अश्क आंखों में रुका है क्या,
बताओ तुम बचाने के लिए कुछ भी बचा है क्या।
कभी सूरत,कभी गोरख,मुज़फ़्फ़रपूर होता है,
हमारे मुल्क के बच्चों की किस्मत में लिखा है क्या।
घटा है हादसा जब-जब,खुलें हैं वादों के दफ्तर,
कोई वादा गए सालों में पूरा भी हुआ है क्या।
दरिंदों से नहीं महफूज़ मेरी फूल सी बच्ची,
हिफाज़त के लिए उसकी हुकूमत ने किया है क्या।
वकालत कर रहा था सिर्फ दो बच्चों की जो कल तक,
मुज़फ़्फ़पूर के माँ-बाप से जाकर मिला है क्या।
किसी भी हादसा को रोकना मुमकिन नहीं होता,
हमारे रहबरों ने मुल्क को आखिर दिया है क्या।
हमारे मुल्क का क़ायद ज़माने में क़वी है "राज",
किसी के ग़म में उसकी आंख में आँसू दिखा है क्या।

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