रविवार, 11 अगस्त 2013

तो अच्‍छा था




कहीं से नींद आ जाती,
मैं सो लेता तो अच्‍छा था,
बिछड़कर तुमसे मैं यारा,
जो रो लेता तो अच्‍छा था.
वफा में जख्‍म जो आए,
उन्‍हें कब तक संभालूं मैं,
लगे हैं दाग़ जो दिल पर,
वो धो लेता तो अच्‍छा था.
मुझे सोने नहीं देते,
तुम्‍हारे साथ गुजरे पल,
तुम्‍हारी याद का तकिया,
मैं खो देता तो अच्‍छा था.
मैं अक्‍सर रात–दिन तेरी,
वफा के गीत गाता हूं,
फसल अब दूसरी कोई,
जो बो लेता तो अच्‍छा था.
मैं उसके बिन भी जी लूंगा,
वो मेरे बिन भी जी लेगा,
सफर में साथ गर मेरे ,
वो हो लेता तो अच्‍छा था.

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