शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

dil chahta hai

गुलों का रंग हो,
खुशियों का आना-जाना हो,
हर एक पल,
तेरी क़िस्मत में मुस्कराना हो.
ये धूप-छाँव हो
दुनिया के वास्ते तो सही,
तुम्हारे वास्ते मौसम सदा 
सुहाना हो.
तुम्हारे चाँद-सितारे,
फलक-ज़मीं सबकुछ,
तुम्हारे नाम पर
दुनिया का हर ख़ज़ाना हो.
तुम्हारा ज़िक्र चले तो
चले ये दुनिया भी,
तुम्हारा ज़िक्र रुके तो
रुका ज़माना हो.
हर एक रँग अलग हो,
हर एक अदा हो जुदा,
नज़र की शोखी हो
या पलक झुकाना हो.
हज़ार बार ये वक़्त
लौट कर आए,
कभी न ख़त्म
मेरे दोस्त ये फसाना हो.

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