बुधवार, 25 जुलाई 2012

Hale-Dil

राहों में उसका नज़रें बिछाना कभी-कभी,
आता है याद गुज़रा ज़माना कभी-कभी.
इंकार कैसे कर दूं,मोहब्बत में दोस्तों,
साधा गया था दिल पे निशाना कभी-कभी.
ये ठीक है की हमने मोहब्बत निभाई है,
चाहा था उसने भी तो निभाना कभी-कभी.
बेताब होके ढूंढता रहता हूँ उसको मैं,
सुनता हूँ जब वफ़ा का तराना कभी-कभी.
यूँ तो छुपाया हमने बहुत अपना दर्दे-दिल,
कहते हैं लोग फिर भी दिवाना कभी-कभी.
हमसे न मिलने के हैं बहाने हज़ारहाँ,
दुनिया से भी तो करिये बहाना कभी-कभी.
दिल पर सितम,सितम पे सितम ढा रहा है यार,
आँचल में तेरा चेहरा छुपाना कभी-कभी.
उल्फत में कितने ज़ख्म मिले,याद क्यों करूं,
मुझको है याद उसका हँसाना कभी-कभी.
उम्मीद है के समझेगा वो मेरा हाले-दिल,
आएगा काम सर का झुकाना कभी-कभी.

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