रविवार, 13 नवंबर 2016

मां का काला धन


उथला-पुथला सारा घर है,
मां का काला धन बाहर है।
खाकर अक्सर आधा-थोड़ा,
अपनी इच्छा मार के जोड़ा,
वो धन भी अब उसका नहीं है,
वाकिफ उससे सारा घर है,
मां का काला धन बाहर है।
बेटी की शिक्षा की खातिर,
शादी का खर्चा है जाहिर,
सबके लिए था सोचा मां ने,
अब उसके बंटने का डर है,
मां का काला धन बाहर है।
गुस्सा उस पर पति शराबी,
खुश है उसका बेटा जुआरी,
और सरकार के प्रश्न भी होंगे,
उसके धन पर सबकी नजर है,
मां का काला धन बाहर है।
घर की मरम्मत भी करनी थी,
फीस डाक्टर की भरनी थी,
मायके में भी कुछ खर्चा था,
अब तो आगे कठिन डगर है,
मां का काला धन बाहर है।

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